कई दशकों से माकपा का गढ़ रहने वाली डायमंड हार्बर सीट पश्चिम बंगाल की प्रमुख सीटों में से एक है। पिछले दो आम चुनावों से तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया हुआ है, अभिषेक बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं।
2019 के आम लोकसभा चुनाव में अभिषेक बनर्जी ने भाजपा के नीलांजन रॉय को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। वहीं पंद्रहवीं लोकसभा के चुनाव में भी इस सीट से तृणमूल कांग्रेस के ही सोमेन मित्रा ने जीत हासिल की थी।
इससे पहले 1967 से 2009 तक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस सीट पर अपना वर्चस्व बना कर रखा। इस बीच 1967 से 1982 तक ज्योतिर्मय बसु, 1982 से 1996 तक अमल दत्त और 1996 से 2009 तक समिक लाहिड़ी सांसद रहे।
माकपा के कई दशकों के राज से पहले कांग्रेस और सीपीआई बारी- बारी से इस सीट पर जीतती रही हैं। इसकी शुरुआत पहले लोकसभा आम चुनाव से हुई थी जिसमें सीपीआई ने जीत दर्ज की थी इसके बाद कांग्रेस के पूर्णेन्दु शेखर नस्कर सांसद बने और फिर सीपीआई के कंसारी हलदर सांसद बने।
तीसरी लोकसभा के आम चुनाव में कांग्रेस के सुधांशु भूषण दास सांसद बने और इसके बाद माकपा ने 40 सालों से ज्यादा राज किया।
2011 की जनगणना के अनुसार इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 22 लाख लोग रहते हैं जिसमें से आधे से ज्यादा लोग शहरी क्षेत्र में निवास करते हैं। डायमंड संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 7 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें फालटा, बिष्णुपुर, महेशतला, बज बज, मेटियाब्रुज, सतगछिया और डायमंड हार्बर शामिल हैं।
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