संविधान दिवस : समृद्ध और समान भारत का संकल्प

विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत यूं ही नहीं खास होता है क्योंकि यहां सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त है और हमें यह अधिकार हमारे देश के संविधान से मिलता है। इसलिए संविधान दिवस के खास मौके पर संविधान के कुछ अहम पहलुओं के बारें में जानते हैं।

26 नवंबर का दिन बेहद महत्वपूर्ण है | इस दिन 1949 में संविधान को अपनाया गया था जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ और भारत के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत हुई। 2015 यानि की बाबा साहेब डा भीम राव अम्बेडकर के 125 वीं जयंती से 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस मनाया जा रहा है।

हम सभी जानते हैं कि संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा था | सच्चिदानंद सिन्हा जी संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे | 60 से ज्यादा देशों के संविधान का अध्ययन और लंबी चर्चा के बाद हमारे संविधान का ड्राफ्ट तैयार हुआ था | ड्राफ्ट तैयार होने के बाद उसे अंतिम रूप देने से पहले उसमें 2 हजार से अधिक संशोधन फिर किए गए थे | लेकिन 1950 में संविधान लागू होने के बाद भी अब तक कुल 106 बार संविधान संशोधन किया जा चुका है | समय, परिस्थिति, देश की आवश्यकता को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने अलग-अलग समय पर संशोधन किए | लेकिन ये भी दुर्भाग्य रहा कि संविधान का पहला संशोधन, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों में कटौती करने के लिए हुआ था | वहीँ संविधान के 44 वें संशोधन के माध्यम से, इमरजेंसी के दौरान की गई गलतियों को सुधारा गया था |

हालांकि संविधान सभा के कुछ सदस्य मनोनीत किए गए थे, जिनमें से 15 महिलाएं थी | उनमें से एक सदस्य हंसा मेहता जी ने महिलाओं के अधिकार और न्याय की आवाज बुलंद की थी | उस दौर में भारत उन कुछ देशों में था जहां महिलाओं को संविधान से मतदान का अधिकार दिया | इसलिए कहा गया है, राष्ट्र निर्माण में जब सबका साथ होता है, तभी सबका विकास भी हो पाता है | संविधान निर्माताओं के उसी दूरदृष्टि का पालन करते हुए, अब भारत की संसद ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पास किया है | ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हमारे लोकतंत्र की संकल्प शक्ति का उदाहरण है | ये विकसित भारत के हमारे संकल्प को गति देने के लिए भी उतना ही सहायक होगा |

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