एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक छोटा सा लड़का नामक मन रहता था। मन बहुत ही अच्छा और मस्त बच्चा था, लेकिन उसके मन में एक बड़ी समस्या थी। वह बहुत अकेला महसूस करता था, क्योंकि उसके पास कोई दोस्त नहीं थे।
एक दिन, मन ने गाँव के पुजारी से अपनी समस्या साझा की। पुजारी ने मन को बताया कि दोस्त बनाने के लिए पहले आपको खुद को दोस्त बनाना होगा।
मन ने उसकी सलाह सुनी और वह सोचने लगा कि वह किस तरह अपने आप को दोस्त बना सकता है। उसने खुद को सीखने और खेलने का मौका दिया, और वह धीरे-धीरे अपनी खुद की खुशियों से प्यार करने लगा।
जैसे ही मन ने अपनी खुद की मित्रता की कदर करनी शुरू की, वह बहुत जल्द अपने गाँव के अन्य बच्चों के साथ भी दोस्ती करने लगा। वह खुश और समृद्धिपूर्ण जीवन जीने लगा और उसकी आँखों में खुशी की किरनें बिखेरने लगी।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें पहले खुद को समझना और पसंद करना जरूरी है, फिर ही हम दूसरों के साथ सच्ची मित्रता कर सकते हैं।
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