देश की राजनीति में कई बार ऐसा भी हुआ है कि दूसरे प्रत्याशी को जिताने के लिए पार्टी ने अपने उम्मीदवार को खड़ा नहीं किया है। ऐसा ही 1957 में हुये चुनाव में कांग्रेस ने किया था। बिहार की सीतामढ़ी संसदीय सीट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जे.बी.कृपलानी के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी को खड़ा ही नहीं किया था। नेहरू चाहते थे कि कृपलानी जैसे प्रखर नेता संसद में पहुंचे। जब उन्हें पता चला कि कृपलानी सीतामढ़ी से चुनाव लड़ रहे हैं तो वहां से कांग्रेस प्रत्याशी को टिकट ही नहीं दिया गया।
1957 में अस्तित्व में आयी सीतामढ़ी सीट से कृ़पालानी ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। लोकसभा चुनाव में कृपलानी ने जीत हासिल की और सीतामढ़ी सीट से पहले सांसद बने। इससे पहले कृपलानी 1947 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके थे।
आज तक नहीं जीता भाजपा प्रत्याशी
माता जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी संसदीय सीट कई मायनों में अलग है। इस जिले के पुनौरा गांव में मां जानकी जन्मभूमि मंदिर है जिसे पुनौरा धाम के नाम से जाना जाता है। पुराने समय में समाजवादियों का गढ़ रही इस सीट पर आज तक कभी भाजपा का प्रत्याशी नहीं जीता। भाजपा और जदयू के बीच हुए सीटों के समझौते में यह सीट जदयू के खाते में गई। सीतामढ़ी लोकसभा सीट एनडीए का गढ़ रही है। यहां से लगातार तीन बार एनडीए उम्मीदवार को जीत मिल चुकी है। अब चौथी बार विजय पताका फहराने के लिए जदयू प्रत्याशी देवेश चंद्र ठाकुर चुनावी मैदान में है तो वहीं इंडिया गठबंधन की तरफ से आरजेडी ने इस बार भी 2019 में चुनाव लड़ने वाले अर्जुन राय को ही टिकट दिया है।
एनडीए प्रत्याशी जीतने पर बनेगा माँ सीता का भव्य मंदिर
गृह मंत्री अमित शाह ने जदयू प्रत्याशी देवेश चंद्र ठाकुर के साथ चुनावी सभा में कहा कि सीतामढी में ‘मां सीता’ का एक बड़ा और भव्य मंदिर बनाया जाएगा। साथ ही इस स्थान को रामायण सर्किट से भी जोड़ा जाएगा। एनडीए के साथ जदयू ने सबसे पहले 1999 में सीतामढ़ी सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि 2004 में यहां एनडीए की हार हुई लेकिन उसके बाद से एनडीए ही जीतती आई है। अब देखना है कि राजद के अर्जुन राय इस किले को फतह कर पाते हैं या राजग का ही कब्जा जारी रहेगा।
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