मिर्जापुर वेबसीरीज की तरह.......मिर्जापुर लोकसभा..

मिर्जापुर

राजनीति के साथ-साथ पर्यटन के लिए जानी जाने वाली मिर्जापुर लोकसभा सीट जहां 2014 से ही मोदी लहर का जादू चल रहा है। 2014 से अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर की सांसद हैं। 2019 में अपना दल (सोनेलाल) की प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल ने सपा के प्रत्याशी रामचरित्र निषाद को दो लाख से ज्यादा वोटों से मात देकर संसद पहुंची थी। बता दें कि 2019 में सपा-बसपा के गठबंधन भी इस सीट को नहीं जीत पाया। 2014 में भी अनुप्रिया पटेल ने बसपा के उम्मीदवार को दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। इससे पहले 15वीं लोकसभा(2009) में समाजवादी पार्टी के बाल कुमार पटेल यहाँ के सांसद थे। बात करें इससे पहले की राजनीति की तो 2008 से पहले मिर्जापुर लोकसभा सीट भदोही लोकसभा सीट में आता था। 2008 में मिर्जापुर और भदोही दो अलग अलग लोकसभा सीट के रूप में बनाए गए।

भारत की मानक समय रेखा मिर्जापुर से गुजरती है और राजनीति की मानक रेखा भी मिर्जापुर के गलियारों से गुजरती दिखाई पड़ रही है...

1952 से 1967 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था लेकिन कांग्रेस के पंद्रह सालों के इस सफर को भारतीय जन संघ के बंश नारायण सिंह ने 1967 में खत्म कर दिया लेकिन अगली बार फिर कांग्रेस आई। कांग्रेस और जनता दल का यह सिलसिला बीस सालों तक चला। 1996 में समाजवादी पार्टी से मुलायम सिंह ने फूलन देवी को यहाँ से चुनावी समर में उतारा और फूलन देवी यहाँ से सांसद बनकर संसद पहुंची। दो सालों बाद 1998 में भाजपा के वीरेंद्र सिंह यहाँ से जीते लेकिन अगले ही साल फिर फूलन देवी ने इस सीट को अपने नाम कर लिया। 2002 में फूलन देवी की हत्या के बाद सपा के रामरति बिंद ने इस सीट को संभाला। अगले पाँच साल 2007 तक बसपा ने इस सीट को संभाला।

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