क्या है कांग्रेस का मीडिया न्याय

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कई तरह के न्याय की बात कही है और अपने घोषणा पत्र को "न्याय पत्र" कहा है। महिलाओं, किसानों, श्रमिकों, युवाओं के अलावा कांग्रेस ने संविधानिक न्याय की बात भी कही है। संविधानिक न्याय के अंतर्गत कांग्रेस ने मीडिया के लिए भी न्याय की बात कही है।

कांग्रेस के न्यायपत्र में लिखा है कि ' पिछले दस वर्षों में मीडिया के एक बड़े हिस्से से उनकी आज़ादी छीन ली गई है, या आत्मसमर्पण कर दिया गया है। कांग्रेस मीडिया को संविधान के तहत प्राप्त स्वतंत्रता को फिर से दिलाने में मदद करेगी।'

कांग्रेस की 8 सूत्री मीडिया न्याय में कहा गया है कि कांग्रेस प्रेस परिषद अधिनियम 1978 में संशोधन करेगी। ये संशोधन कांग्रेस मीडिया को स्वनियमित, पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा करने, संपादकीय स्वतंत्रता को बनाए रखने और फर्जी व पेड न्यूज के खतरों से निपटने के लिए करेगी। साथ ही कांग्रेस मीडिया में एकाधिकार, मीडिया के विभिन्न वर्गों के क्रॉस-स्वामित्व और व्यावसायिक संगठनों द्वारा मीडिया पर नियंत्रण को रोकने के लिए एक कानून पारित करेगी। कांग्रेस संदिग्ध एकाधिकार के मामलों को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को भेजेगी।

कांग्रेस का कहना है कि कई नए कानून (उदाहरण के लिए ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल, 2023; डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023; प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल्स अधिनियम, 2023, आदि) सरकार को सेंसरशिप की बेलगाम शक्तियां देते हैं। इसलिए कांग्रेस ने ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल, 2023 को वापस लेने की बात कही है।

कांग्रेस इंटरनेट की स्वतंत्रता को बनाए रखने और इंटरनेट को मनमाने ढंग से और बार-बार बंद करने से रोकने के लिए एक कानून पारित करने की बात कही है। साथ ही आकार की परवाह किए बिना सभी मीडिया हाउसों को अपनी वेबसाइटों के माध्यम से अपनी स्वामित्व संरचना (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष), क्रॉस होल्डिंग्स, राजस्व स्ट्रीम आदि का खुलासा करना होगा।

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