बेरोजगारी में युवा नं. 1 पर

एक फैक्ट्री के सामने सैंकड़ो लोग खड़े थे। घड़ी में सुबह 8 बज रहे थे, तभी फैक्ट्री का दरवाजा खुलता है और हाथ में डायरी लिए एक आदमी निकलता है और 15-20 लोगों को अन्दर बुलाकर फिर गेट बंद कर लेता है। बाकी बचे लोग अगले फैक्ट्री के गेट पर जाते हैं जब तक कि उन्हें भी किसी फैक्ट्री के गेट के अंदर ना बुला लिया जाए। कभी-कभी कुछ लोग दोपहर तक एक फैक्ट्री से दूसरी फैक्ट्री का चक्कर लगाते हैं और जब उन्हें कोई अंदर नही ले जाता तो अपने को कोशते हुए किराए के कमरे की तरफ चले जाते हैं।

रामदीन भी एक 18 वर्षीय युवा है। वह अपने गांव से अपने मामा के साथ आया है और रोजगार की तलाश में इधर- उधर घूम रहा है। पूरा दिन घूमने के बाद भी उसे कोई नौकरी नहीं मिली तो वह एक चौराहे पर बैठ कर बीड़ी पी रहा था तभी दुकान वाले से उसने पूछा कि चाचा कितनी कमाई हो जाती है तो दुकानदार ने कहा " का बताएं भईया दिन के 500 रुपए कमाना मुश्किल हो जाता है पर भटकना नहीं पड़ता इसी वजह से दुकान खोल ली"। रामदीन ने सोचा कि अगर मैं भी दुकान खोल लूं तो मुझे भी रोज एक फैक्ट्री से दूसरी फैक्ट्री चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। लेकिन रामदीन को पता था कि सोचने से कुछ नहीं होगा इसके लिए उसे मेहनत भी करनी पड़ेगी और जरूरी सामान को भी इकट्ठा करना पड़ेगा। चाय की दुकान खोलने के लिए जरूरी सामान को खरीदने के लिए जब उसने अपने मामा से पैसे मांगे तो उसके मामा ने कहा कि फालतू के काम नहीं करना है तुम्हें सुबह फैक्ट्री जाना है और नौकरी ढूढना। अगले दिन रामदीन ना चाहते हुए भी कई फैक्ट्री गया और यह प्रक्रिया उसने 15 दिनों से ज्यादा किया। आखिर में थक कर उसने गांव वापस जाने का फैंसला ले लिया और गांव चला आया।

रामदीन की तरह भारत में बहुत से बेरोजगार युवा हैं। हाल ही में मानव विकास संस्थान (आईएचडी) और अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने ' इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024' जारी की है । इस रिपोर्ट में बताया है कि देश में अगर बेरोजगार लोगों की कुल संख्या एक सौ है तो उसमें तिरासी लोग युवा हैं। भारत युवाओं का देश है लेकिन अगर देश की बेरोजगारी की संख्या में तिरासी प्रतिशत युवा रहेंगे, तो भारत कैसे विकसित राष्ट्र बनने का सपना जल्दी पूरा कर पाएगा?

भारत में बेरोजगारी की स्थिति पर तैयार इस अहम रिपोर्ट में कुछ विरोधाभासों पर भी गौर करने में मदद मिलती है। माना जाता है कि बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक शिक्षा और कौशल विकास के अभाव का भी नतीजा है। हालांकि देश में कौशल बढ़ाने व उद्यमिता का भाव जगाने के लिए सरकार ने स्किल इंडिया, कौशल विकास योजना, स्टार्टअप इंडिया जैसे कई प्रयास किए हैं लेकिन बेरोजगारी को कम करने के लिए अभी और भी प्रयास करने होंगे।

आइएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के कुल बेरोजगार युवाओं की तादाद में करीब दो दशक पहले के मुकाबले अब लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हो चुकी है। खासतौर पर कोरोना महामारी के असर वाले वर्षों में इसमें तेज गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2000 में पढ़े-लिखे युवा बेरोजगारों की संख्या रोजगार से वंचित कुल युवाओं में 35.2 फीसद थी, वहीं 2022 में यह बढ़ कर 65.7 फीसद हो गई। पिछ्ले 22 सालों में इस संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

युवाओं में उद्यमिता को बढ़ाने के लिए हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने स्टार्टअप महाकुंभ का आयोजन भी किया था लेकिन इन आयोजनों में केवल बड़े शहरों के युवा ही पहुंच पाते हैं, गांवों और छोटे शहरों के युवाओं को इसके बारे में पता भी नहीं लगता इसी कारण से ग्रामीण क्षेत्रों के युवा इन अवसरों से पीछे रह जाते हैं।

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